Tuesday 18 April 2017



परम आदरणीय -मित्रो
विजय हो आपकी विजय हो आपके माँ बापकी
विवेकस्पर्श के साथ डॉ "पाल "
पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम की बेला नजदीक है आप तमाम चीजों जैसे मोबाइल फोन आदि को रोजाना चार्ज / आवेशित करते है आपने अपने आपको कभी आवेशित किया ? कैसे उर्जा से आवेशित करेगें ? यह सीखने के लिए एक हादसा मानकर अपने F F F(Family,Friends,Foe) के साथ जीरों बजट पर बैभवशाली विश्व निर्माण-- मूल इकाई 'विशेषकर अपने घर' को --में अहम भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित है
गणेश कुशवाहा / डॉ वी एन पाल

Sunday 16 April 2017

13/04/1992 को लिखा पत्र 25 साल पहले - 30/04/1992 को सभी अख़बारों में प्रकाशित राष्ट्रपति के नाम पर खुला पत्र :-
राष्ट्र की प्रगति में बाधक है छुट्टियाँ को 14/04/2017 को उत्तर प्रदेश सरकार ने संज्ञान में लिया गया l

Saturday 15 April 2017

विज्ञापन / महत्वपूर्ण अधिसूचना
भारत का संप्रभु नागरिक डॉ वी एन पाल
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए उचित पात्रों की तलाश जारी है -आवेदन करें l पूरे देश से योग्य व्यक्ति आगे आयें l
अब तक जितने भी राष्ट्रपति 1981 के बाद बने है, सब असम्वैधानिक हैं क्योंकि इनका चुनाव 1971 की जनगणना पर हुआ है और भी कई तरह की चुनावी विसंगतियां है सबने दुसरे कार्यकाल को प्राप्त करने की लालसा में विवेकधिकार जो उनका विशेषाधिकार था जिसके सामने सभी संवैधानिक अधिकार बौने हो जाते हैं का प्रयोग नहीं किया l परोक्ष / अपरोक्ष रूप से राष्ट्रपतियों द्वारा नियुक्त संवैधानिक पदों पर नियुक्त व्यक्तियों ने मनमानी की l असंवैधानिक गतिविधियों में लिप्त रहे l राष्ट्रपति मौन रहे l सबकी एक जैसी कार्यशैली को देखकर एक कहावत आम हो गयी कि हमारे देश का राष्ट्रपति एक RUBBER STAMP मात्र है जबकि उसमें असीमित शक्तियां निहित हैं l
कुछ लोगों ने --मेरे संपर्क में है-- पहल की है l स्वत:लिखित चरित्र प्रमाण पत्र , दिनांक रहित त्यागपत्र के साथ राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र को संचालित करने की योजना के साथ पहल करे ताकि उचित पात्र के लिए वातावरण बनाया जा सके l
जब कोई भी पहल नहीं करेगा और सपने में भी मुझे कोई माँरने की नहीं सोचेगा तो मै इस कार्य के लिए अपना योगदान करने पर विचार कर सकता हूँ क्योकि ब्लैक कैट कमांडो में विशिष्ट कैदी की भूमिका में रहकर मुझे जीना पसंद नहीं है, मुझे उमंग और तरंग के साथ हट्टे कट्ठे पट्ठे रहकर गुलाम भारत में आजाद पशु पक्षियों की तरह से हजारों साल जिन्दा रहने की तमन्ना है l
जो व्यक्ति अपनी रक्षा नही कर सकता वो राष्ट्र के किसी भी व्यक्ति की रक्षा कैसे कर सकता है ?
नोट :-
कोई भी व्यक्ति इस देश में उपराष्ट्रपति / राष्ट्रपति बनंने के काबिल नही है तब भी कोई न कोई तो बनेगा ही फिर आप क्यों नहीं ?
गंभीरता से आत्म अवलोकन / विचार कर पहल कीजिये l
डॉ पाल
contact:-"डॉ विजय नारायण पाल "
Alumni I I T Kanpur
Prof. & Head Dept of Maths
U I E T -C S J M U --Kanpur
05122770066,7007967764,8765071871,8765381614,7850838083,9305574610,7266010745
pmdrvnpalcm13@gmail.com                        

Saturday 8 April 2017

VN Pal
1 hr
संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों के औचित्य पर सवालिया निशान ?
कृपया -संलग्न सारणी का अवलोकन करें -
स्पष्ट है कि राष्ट्रपति के चुनाव 1981 के वाद से लेकर 2012 तक 1971 की जनगणना (जन संख्या 54932005)पर कराये जा रहे हैं 2017 में भी होंगे और 2027 से पहले तक होते रहेंगे l हर 10 सालों में आबादी बढती रही चुनाव योग सोता रहा l ५५ करोड़ की आबादी पर चुनाव कराता रहा २०२७ से पहले तक कराता रहेगा l२००७ में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लिया था l तब इस विसं...
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संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों के औचित्य पर सवालिया निशान ?

कृपया -संलग्न सारणी का अवलोकन करें -

स्पष्ट है कि राष्ट्रपति के चुनाव 1981 के वाद से लेकर 2012 तक 1971 की जनगणना (जन संख्या 54932005)पर कराये जा रहे हैं 2017 में भी होंगे और 2027 से पहले तक होते रहेंगे l हर 10 सालों में आबादी बढती रही चुनाव योग सोता रहा l ५५ करोड़ की आबादी पर चुनाव कराता रहा २०२७ से पहले तक कराता रहेगा l२००७ में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लिया था l तब इस विसंगति पर चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया था l उसके कान में जून नहीं रेंगी l विवश हो कर सर्वोच्च् न्यायालय की शरण में राष्ट्रपति के चुनाव पर सवालिया निशाँन लगाया गया था
उसने (CJI-Mr K G Balakrishanan की खंडपीठ ) भी इस भूल सुधार को संज्ञान में नहीं लिया था और matter list न करके matter over कह कर मेरी याचिका को ख़ारिज कर दिया था 17 अगस्त २००७ को l मैं ठगा सा रह गया था लगभग 70 करोड़ जनता को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ही नहीं लेने दिया गया
ऐसा इसलिए किया गया ताकि संवैधानिक संकट पैदा होने से बचा जा सके --राष्ट्रपति का चुनाव असंवैधानिक करार होने पर उसके द्वारा नियुक्त CJI सहित सभी संवैधानिक नियुक्तियां जैसे प्रधानमंत्री, राज्यपालों व चुनाव आयुक्त आदि अवैध हो जाती l उन्हें तत्काल अपने पदों से हटना पड़ता ,लिए गये सभी लाभ वापस करने पड़ते l कालान्तर में भी इस भूल को न तो संज्ञा में लिया जा रहा है और न हीं सुधारा गया l यह एक गभीर विसंगति है l

मेरे कुछ यक्ष्य प्रश्न --
चुनाव में किसी के फार्म में spelling की गलती पर पर्चा निरस्त हो जाता है रद्द हो जाता है यह तो बहुत बड़ी गलती है कौन जिम्मेदार ?
- क्या संवैधानिक पदों पर विराजमान लोगों के औचित्य पर सवालिया निशाँन लगाया जा सकता है ?

यदि हाँ -

तो फिर दोषी कौन ?
और ऐसे लोगो के प्रति संवैधानिक क्या कदम उठाये जांय ?

डॉ वी एन पाल
सरकारी खजाने की मदद लिए बिना, तथा बिना किसी भेदभाव (अमीरी/गरीबी, जाति - पाति , धर्म संप्रदाय ,रंग भेद ,लिंग भेद, भाषा , क्षेत्र आदि ) के हर नागरिक की आजीवन रोटी कपड़ा मकान आदि की व्यवस्था 13 मिनट में

Friday 7 April 2017

पास - पडोसी, प्रियजन, पुरजन, मित्रजन, शत्रुजन एवं पत्रकारजन से गुजारिश है की CSA University कानपूर में जो 22 अप्रैल और २३ अप्रैल को Quantum Science की मीटिंग होगी उसमे आप सभी सादर आमंत्रित हैं l
डॉ पाल

Wednesday 5 April 2017

एक दाने से सौ दाने पैदा करने वाला किसान कर्जदार कैसे हो सकता है जरा सोचो ? अव्यवस्था का शिकार / सरकार के नाम पर हो रहे व्यापार का शिकार
किसान कर्ज में कभी न था , न है , और न होगा उलटी सरकार किसानों के कर्ज में आकंठ डूबी हुई है
पूरा विश्व ही किसानों का कर्जदार है -किसान का मतलब जो पैदावारी में लिप्त हो --चाहे अन्न , जल ,फल, सब्जियां या बच्चे पैदा करे-केवल हलधर ही किसान नहीं होता है
" किसान ही भगवान है " डॉ पाल

Tuesday 4 April 2017

भारत निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित सत्ता होती है जबकि ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव की सत्ता सम्बंधित राज्य निर्वाचन आयोग के पास होती है।



यक्ष्य प्रश्न ? 

क्या मंत्री ,मुख्यमंत्री ,प्रधान मंत्री के चुनाव सदन में चुनाव आयोग की मौजूदगी में होने चाहिए ? ऐसा कभी नहीं हुआ क्यों ?
जनप्रतिनिधि की जगह दल प्रतिनिधि के चुनाव का औचित्य पर सवालिया निशान ? 

जन जन की सरकार या दल दल की सरकार ?
चुनाव आयोग को EVM में manipulate करने वालों को आचार संहिता की गिरफ्त में लेकर तत्काल दोवारा चुनाव कराने होंगे l पुन:मतदान का खर्च वसूलना होगा l सरकारों की चोरी हुईं है l संज्ञेय अपराध कारित हुआ है l
प्रेमियों को राहत। पार्क‚ मॉल आदि में घूमते जोड़ो से कोई पूॅछताछ नहीं होगी।



ढाई अच्छर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय l यहाँ कुछ उल्टा ही है -यहाँ तो प्रेम करने वालों को हेय द्रष्टि से देखा जाता है जेल भेजा जाता है ऑनर किलिंग का शिकार होना पड़ता है - प्रेम से रहो यह भी सिखाया जाता है --समझ से परे ? किसी को भी किसी के व्यकितगत जीवन में झाँकने का ,हस्तक्षेप अप्राकृतिक है --हाँ प्रेमी युगलों को लोक लाज का ख्याल रखना चाहिए -पति पत्नी के बीच के क्रिया कलाप को खुले आसमान में समाज के सामने करने का आनन्द भयबिहीन हो तो किसी को आपत्ति क्यों ? 

भयबिहीन आनन्द दाई क्रिया कलाप ही हमारा मार्ग होना चाहिए -

संपूर्ण आजादी --यदि हम अपने सभी कार्यों का लेखा जोखा ईमानदारी से पल पल कलम बद्ध करते रहे और इसकी जानकारी सबको न सही तो कम से कम अपने परिवार को अवश्य देते रहे तो मेरा मानना है पूरी दुनियां बड़ी खूबसूरत बन जाएगी


                                                                                                                डॉ पाल 
प्रधान मंत्री जी की घोषणा के अनुसार किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ होना
चाहिए ?
--सरकारी आंकड़ों के मुताविक यहाँ आम नागरिकों के साथ गर्भ में पलने /पैदा होने वाला हर बच्चा देशी / विदेशी कर्ज में है जबकि सच्चाई यह है कि कोई भी नागरिक कर्ज में नहीं है बल्कि सभी का सरकार के उपर कर्ज है --हर नागरिक का राष्ट्र की चल अचल संपत्ति में कम से कम 3 अरब का हिस्सा है और मरने के बाद भी उस के शव की कीमत कम से कम 3 अरब है - डॉ पाल

Sunday 2 April 2017

Save-डॉ रामेश्वर वर्मा रीजेंसी कानपूर से राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में --9450343982,9648806682रीढ़ की हड्डी में operation हुआ-असफल-Dr Pal
Save-डॉ रामेश्वर वर्मा रीजेंसी कानपूर से राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में --9450343982,9648806682रीढ़ की हड्डी में opretion हुआ-असफल-Dr Pal

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पर सवालिया निशान?

 Public Interest Litigation जनहित याचिका 18 अगस्त 2022 भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के सम्मुख जनहित याचिका हेतु                           ...